60 साल बाद मलेरिया की नई दवा आई, अब लड़ाई आसान होगी
सुमन कुमार
पूरी दुनिया में मलेरिया के बुखार का आतंक लंबे समय से बना हुआ है। खासकर पी वीवेक्स मलेरिया का बार-बार होना चिंता की बात बनी हुई है। मगर अब अमेरिकी दवा नियंत्रक एजेंसी यूएसएफडीए ने इस बीमारी के इलाज के लिए नई दवा क्रिन्टाफेल को मंजूरी दे दी है जिसके बाद अब उम्मीद बंधी है कि पूरी दुनिया में इस बीमारी के उन्मूलन का सपना साकार हो पाएगा। क्रिन्टाफेल दरअसल टेफेनोक्वीन दवा है। मलेरिया के लिए अभी पूरी दुनिया में क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत पर क्या होगा असर
भारत में मलेरिया के कुल रोगियों में पी वीवेक्स मलेरिया के रोगियों के संख्या करीब 34 फीसदी है। इस लिहाज से देखा जाए तो ये दवा जब भारतीय बाजार में आएगी तो इसका सीधा असर इन रोगियों के इलाज पर पड़ेगा। भारत में अभी मलेरिया के करीब 13 लाख मरीज हैं और इसके कारण करीब 24 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। यही नहीं देश की करीब करीब आधी आबादी इस बीमारी के जोखिम क्षेत्र में है। दुनिया भर के मलेरिया रोगियों में से 6 फीसदी भारत में हैं। यही नहीं मलेरिया से होने वाली मौतों में से भी 6 फीसदी भारत में होती हैं जबकि पूरी दुनिया के पी वीवेक्स मलेरिया के मरीजों में से 51 फीसदी मरीज अकेले भारत में हैं। ऐसे में नई दवा से भारत को फायदा होना तय है।
किसने विकसित की है ये दवा
ये दवा अमेरिका में गैर लाभकारी शोध केंद्र और दवा उद्योग ने मिल-जुलकर विकसित की है और पिछले 60 वर्षों में ये इस बीमारी की पहली नई दवा है। उम्मीद है कि अब इस दवा को दुनिया के बाकी देशों में भी तेजी से मंजूरी मिल जाएगी।
कैसे दी जाएगी ये दवा
अगर मलेरिया की वर्तमान दवा क्लोरोक्वीन के साथ इसे दिया जाए तो इस नई दवा का सिर्फ एक ही डोज मरीज को देना होगा। यानी ये सिंगल डोज दवा है। ये दवा 16 वर्ष और उससे अधिक उम्र के मरीजों को दी जा सकती है। दवा मरीज के लिवर में हुए संक्रमण को समाप्त कर बीमारी के दोबारा उभरने की आशंका को खत्म कर देती है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि इस दवा की भारतीय बाजार में उपलब्धता मलेरिया के इलाज में बड़ा बदलाव लाएगी। भारत ने साल 2030 तक देश से मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य तय किया है और इस लक्ष्य को हासिल करने में ये दवा कारगर साबित होगी क्योंकि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है कि पी वीवेक्स मलेरिया का प्रभावी इलाज किया जाए जो कि अब इस दवा से संभव हो जाएगा।
वैसे बचाव आज भी सबसे बेहतर इलाज है
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि मलेरिया एक पूरी तरह बचाव संभव वाली बीमारी है। इसलिए बीमारी होने के बाद इलाज कराने से बेहतर है कि पहले से ही मच्छरों से बचाव किया जाए। मलेरिया के साथ परेशानी ये है कि इस बीमारी के लक्षण अन्य बुखारों जैसे कि टायफाइस से मिलते जुलते हैं इसलिए लोग दूसरे बुखारों का इलाज आरंभ कर देते हैं।
अभी क्या इलाज होता है
पी वीवेक्स मलेरिया के इलाज के लिए अभी क्लोरोक्वीन के साथ प्राइमाक्वीन का इस्तेमाल किया जाता है। इस कॉम्बीनेशन का इस्तेमाल 14 दिनों तक करना होता है। दूसरी ओर टेफेनोक्वीन का एक ही डोज क्लोरोक्वीन के साथ देने से इससे भी ज्यादा प्रभावी इलाज मिल जाता है।
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